अधुरी आहट - महेश बोरगे

मुझे पता नही मेरी लिखावट कैसी है, पर बहुत दिनों के बाद एक खास दोस्त ने पुछा की तुम कितने बदल गए हो। हर वक्त टीचर की तरह कुछ न कुछ बोलते हो, कभी कबार कुछ रोमांटिक भी लिखा करो, ताकि हम भी तुम्हारी लिखापढ़ी जान सकें। इसलिये आज थोड़ीसी खींचतान के बाद यह चार लाइन लिखी हैं। पहली बार ऐसा कुछ लिखा है, दोस्तों कमेंट जरूर करना।

"अधुरी आहट"


बड़े दिनों के बाद मेरी जिंदगी में फिर से बहार खिली हुई हैं। वैसे कभी जिंदगी में कुछ कमी नहीं थी पर एक खाली पन था। पता नहीं पर हर पल कुछ कमी हैं ऐसा लगता था। न कोई अपना समजने वाला था, न कोई ऐसा था जिसके लिए दिल मचलता था। एक मशीन सी थी मेरी जिंदगी, दिन ब दिन काम काम और काम था। एक जुनून सी थी मेरी जिंदगी। जैसे हर दिन शिकारी के तरह शिकार करने के लिए निकलना और शाम तक शिकार करके ही वापस आना। पूरी रफ्तार से जिंदगी चल रही थी। इस दौरान कई दोस्त साथ आये और चले भी गए। किसी की तलाश थी जो कभी पूरी नही हो रही हैं। आज सालों बाद कुछ हड़बड़ाहट हुई और पता चला कि तुही है, जिसकी मैं बरसों से राह देख रहा हूँ। मुझे पता नहीं था कि तुही मेरी जीवन की सावन की घटा थी। 

दुनिया की रहगुज़र में तेरी आहट सुनाई देती थी लेकिन कभी सोचा न था कि तुम मेरी हो जाओगी। जिसके लिए दिल मे एक जगह खाली थी वहा आज तक किसी ने दस्तक नही दी। पर आज पता चला वह जगह तुम्हारी हैं। बेचैनी कम से होने लगी हैं, जब से मेरी तुमसे मुलाकात हुई है। आज भी जब कभी पीछे मुड़कर देखता हूँ, ऐसा लगता हैं कि तुम मेरे पास हो, मेरे साथ हो। जीवन मे जितनी दूरियां और खामियां थी वह सभी तुमसे मिलने के बाद खत्म हुई हैं। यह तुम्हारी मुस्कुराहट भी कमाल की है, जिसके कारण मुझे सभी परेशानियों का हल मिलता हैं। सुना था भगवान ने हर एक के लिये किसी को बनाया है, आज यकीन हुआ कि वह सिर्फ तुम हो। 

तुम्हारी प्यारभरी आँखों की पहेली आज खुल के सामने आयी और दिल को सुकून आया। जी करता हैं की तुम्हारी इन आँखों मे डूब जाऊँ। तुम्हारी आँखों की एक झलक पाने के लिए तरसता था, तेरी मुरत और सिरत दुनिया की हर मुश्किल के परे ले जाती हैं। प्यार में कितनी ताक़त है इसकी जानकारी तुमसे मिलने के बाद पता चली।

____MAHESH BORGE
(maheshborge@gmail.com)

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